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सेन्सेइ से पूछें

उदाहरण देने के लिए 'तारि' का इस्तेमाल करने का तरीक़ा (पाठ 37)

जब कई क्रियाओं में से दो या तीन का उदाहरण देना हो, तो उदाहरण की प्रत्येक क्रिया के 'ता'-रूप के साथ 'रि' जोड़ते हैं और वाक्य के अंत में लगाते हैं क्रिया 'शिमासु' यानी “करना” के रूप जैसे 'शिमाशिता' यानी “किया” या 'शिताइ देसु' यानी “करना चाहता हूँ”।

जैसे, हमारी कहानी में आन्ना ने शिज़ुओका में तरह-तरह के अनुभव लिए। उनमें से दो उदाहरण लेकर उन्होंने छात्रावास प्रभारी को अपने सफ़र के बारे में बताया। एक था “फ़ुजि पर्वत देखना” और दूसरा था “सुशि खाना”।

“देखना” के लिए क्रिया है 'मिमासु'। इसके 'ता'-रूप यानी 'मिता' में जोड़ दिया 'रि' तो बना 'मितारि'। इसी तरह, क्रिया “खाना” के लिए जापानी शब्द है 'ताबेमासु'। इसका 'ता'-रूप है 'ताबेता' और उसमें जुड़ गया 'रि' तो बना 'ताबेतारि'।

तो अगर कहना है कि “कभी फ़ुजि पर्वत देखा, कभी सुशि खाई”। तो वाक्य बनेगा 'फ़ुजिसान् ओ मितारि, ओसुशि ओ ताबेतारि शिमाशिता'।

ये दोनों क्रियाएँ शिज़ुओका में आन्ना के अनुभवों का हिस्सा हैं। जब इस तरह क्रियाओं के साथ 'तारि' लगाकर वाक्य बनाते हैं तब उसका मतलब यह होता है कि इनके अलावा और गतिविधियाँ भी थीं जिनके बारे में वाक्य में नहीं बताया गया है।
दूसरी तरफ़, अगर आप विपरीतार्थक क्रियाओं के साथ 'तारि' जोड़कर उन्हें एक के बाद एक बोलते हैं तो इसका मतलब है कि वही क्रियाएँ बार-बार हो रही हैं। जैसे 'इत्तारि, कितारि शिमासु' का मतलब होगा कि “कोई बार-बार आ जा रहा है” और 'त्सुकेतारि, केशितारि शिमासु' का मतलब होगा कि “कोई बार-बार कुछ जला बुझा रहा है”।
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