यह कहानी एक ऐसी महिला की है जो कोई गन्ध महसूस नहीं कर सकती। इसलिए किसी प्रकार की सुगन्ध या इत्र में उसकी कभी रुचि नहीं रही। एक बार वह बीमार पड़ गई। इसी दौरान पूजा घर की अगरबत्तियाँ समाप्त हो गईं। बाहर जाने में असमर्थ होने के कारण उसे पिता के कमरे में जो अगरबत्तियाँ मिलीं वह उन्हीं को इस्तेमाल करने लगी। एक दिन अगरबत्ती के धुएँ में एक व्यक्ति प्रकट हुआ। उसने महिला से पूछा कि वह अपने किस दिवंगत प्रियजन से मिलना चाहेगी... आगे जानने के लिए सुनिए कहानी का दूसरा भाग।