साहित्य सरिता : प्रियजन (1)
यह कहानी एक ऐसी महिला की है जो कोई गन्ध महसूस नहीं कर सकती। इसलिए किसी प्रकार की सुगन्ध या इत्र में उसकी कोई रुचि नहीं है। एक बार वह बीमार पड़ गई। इसी दौरान पूजा घर की अगरबत्तियाँ समाप्त हो गईं। बाहर जाने में असमर्थ होने के कारण उसे पिता के कमरे में जो अगरबत्तियाँ मिलीं वह उन्हीं को इस्तेमाल करने लगी। एक दिन अचानक उसे एक आवाज़ सुनाई दी। किसने आवाज़ दी... यह जानिए कहानी के पहले भाग में।