साहित्य सरिता - स्वागत दीप (1)
"स्वागत दीप" कहानी उन बच्चों की मनोदशा बता रही है जिनका अपना कोई ठिकाना नहीं होता। बच्चे गर्मी के मौसम में दूर घाटी में बसे एक गाँव में तीन दिन रहने जाते हैं ताकि वहाँ कीटों का स्वागत करने की रस्म में हिस्सा ले सकें। असल में इस रस्म की शुरुआत तो मशाल की आँच और धुएँ से हानिकारक कीटों को भगाने से हुई थी, फिर समय के साथ-साथ लोग दीप जला कर कीटों का स्वागत करने लगे। गाँव में युद्ध में पराजित लोगों को शरण देने की एक प्राचीन कथा प्रचलित है। अब यहाँ उन बच्चों को अपनेपन का अहसास दिया जाता है जिनका अपना कोई ठिकाना नहीं है।
कहानी के लेखक शिगेमात्सु कियोशि की गिनती जापान के अग्रणी कथाकारों में होती है। उन्होंने परिवार, स्कूल, दोस्ती और छात्रों के बीच ज़ोर-ज़बर्दस्ती जैसे विषयों पर मनोभावों को गहराई से व्यक्त करती अनेक रचनाएँ की हैं। लीजिए सुनिए "स्वागत दीप" कहानी का पहला भाग।