साहित्य सरिता - "आकाशगंगा कॉफ़ीहाउस में एक रात" (भाग-2)
एक बालिका हर वर्ष गर्मियों में ओबोन की छुट्टियों के दौरान अपने दादाजी के घर जाती है। इस बार एक शाम दादाजी उसे अपने प्रिय कॉफ़ीहाउस ले जाने वाले हैं। बालिका अपनी सबसे सुन्दर पोशाक पहन कर तैयार होती है और दादाजी के साथ एक रहस्यमयी-सी दिखने वाली जगह पहुँचती है। दीवारों पर ब्रह्माण्ड को दर्शाते चित्रों के अलावा सप्तऋषि का द्योतक भालू और हंस तारामंडल के प्रतीक हंस की आकृतियाँ सजी थीं। बालिका, परशु नक्षत्र पुँज की उल्का बौछार में तैयार हुए कॉफ़ी बींस और आकाशगंगा के दूध से बनी आईस कॉफ़ी पी कर अपने को एकदम-से बड़ा महसूस करने लगती है। कहानी के दूसरे और अन्तिम भाग में आप भी लीजिए इस अनोखी कॉफ़ी का स्वाद, कल्पना की उड़ान के साथ।