
170 सैंटीमीटर ऊँचे और 460 सैंटीमीटर चौड़े इस चित्र में केवल सनौवर का एक वृक्ष दिखाई देता है। लगभग पूरी पृष्ठभूमि पर लगी सोने की परत पेड़ के टेढ़ेमेढ़े रूप को उभारती है। 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बना यह चित्र उस युग से है जब महान योद्धा लम्बे गृह युद्ध के बाद जापान को फिर से एक करने की ओर बढ़ रहे थे। इस चित्र के रचनाकार कानो एइतोकु शक्तिशाली योद्धाओं के बीच लोकप्रिय थे। उनके दादा को चीन के स्याही चित्रों की परम्परा और रंगों का उपयोग करने वाली जापानी चित्रकारी को मिलाने का श्रेय जाता है। कला की वही परम्परा एइतोकु को विरासत में मिली। उन्होंने शक्तिशाली और खूबसूरत रचनाएँ तैयार कीं जो योद्धाओं को बहुत पसन्द आती थीं। यह चित्र उन्होंने राज परिवार के एक सदस्य के घर के फ़ुसुमा यानी खिसकाने वाले दरवाज़े पर बनाया था, लेकिन बाद में इसे मोड़ी जा सकने वाली आड़ का रूप दे दिया गया। एइतोकु की अधिकतर रचनाएँ युद्ध की लपटों में जल कर राख हो गईं। मगर यह चित्र आज भी उस अद्भुत सौन्दर्य की यादें संजोए हुए है।
