
लेखन सामग्री रखने के डिब्बे जापानी भाषा में सुज़ुरिबाको कहलाते हैं। इन डिब्बों का सजावटी सामान के रूप में भी इस्तेमाल होता था और इस कारण से इन पर उत्तम कलाकारी की जाती थी। ऊँचे, गोल उठाव वाले ढक्कन पर पंटून पुल की डिज़ाइन लिए यह डिब्बा सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था। इसकी नई किस्म की कलाकारी बरसों से चली आ रही पारम्परिक माकि-ए (लाख पर सोने या चाँदी के कणों से की जाने वाली कारीगरी) से बहुत अलग थी। इस डिब्बे के रचनाकार होनआमि कोएत्सु ने विभिन्न शिल्पकारों और कलाकारों के साथ मिलकर विविध क्षेत्रों में कलाकृतियाँ बनाईं। उस ज़माने के शोगुन शासक तोकुगावा इएयासु ने उन्हें क्योतो के बाहरी क्षेत्र में ज़मीन भी दी थी जहाँ उन्होंने एक शिल्पग्राम बनाया था। एक शताब्दी बाद, उसी परिवार के कलाकार ओगाता कोरिन ने कोएत्सु से प्रेरित होकर जापानी कला के इतिहास को नया आयाम दिया।
