
तोक्यो राष्ट्रीय संग्रहालय के परिसर में ऊँचे गुम्बद वाली पाश्चात्य शैली की एक इमारत है। 1908 में बन कर तैयार हुई इस इमारत को ह्योकेइकान कहा जाता है यानी प्रसन्नता व्यक्त करने वाली इमारत। इसका निर्माण युवराज के विवाह का जश्न मनाने के लिए किया गया था। जापान के प्रथम वास्तुकारों में से एक ने जापान के पहले कला संग्रहालय की तरह इसे डिज़ाइन किया था। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में आधुनिक राष्ट्र की स्थापना की प्रक्रिया में जापान पश्चिमी देशों की संस्कृति और व्यवस्थाओं को अपना रहा था और उसे ऐसे विशेषज्ञों की ज़रूरत पड़ी जो पाश्चात्य शैली की इमारतों को डिज़ाइन कर सकें। ब्रिटेन से आमंत्रित वास्तुकार, जोसाइआ कॉन्डर ने जापानी छात्रों को पश्चिमी वास्तुकला के इतिहास और भवनों के बारे में शिक्षा दी। उनकी पहली ही स्नातक कक्षा में तोउकुमा कातायामा थे, जो शाही वास्तुकार बने और जिन्होंने ह्योकेइकान इमारत डिज़ाइन की। ये कहानी है जापान में पाश्चात्य शैली की वास्तुकला के उदय के युग में पथ प्रदर्शकों की।
