अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय यानि आईसीसी ने उक्रेन में युद्धापराधों के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ़ गिरफ़्तारी वॉरंट जारी किया है।
द हेग स्थित न्यायालय ने शुक्रवार को कहा, यह मानने के उचित आधार हैं कि पुतिन, उक्रेन में कब्ज़े वाले इलाकों से बच्चों को अवैध रूप से रूस ले जाने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
आईसीसी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों के लिए रूस की राष्ट्रपति आयुक्त मारिया एलेक्सेयेवना लवोवा-बेलोवा के खिलाफ़ भी न्यायाधीशों ने गिरफ़्तारी वॉरंट जारी किया है। मारिया पर भी समान आरोप लगाये गए हैं।
आईसीसी अध्यक्ष पिओत्र हॉफ़्मान्स्की ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत औपनिवेशकों के लिए आम नागरिकों को उनके निवास स्थान से किसी दूसरे स्थान ले जाने पर पाबंदी है।”
उन्होंने साथ ही कहा कि बच्चों को जिनेवा संधि के तहत विशेष संरक्षण प्राप्त है।
हॉफ़्मान्स्की ने सहयोग की अपील करते हुए कहा कि गिरफ़्तारी वॉरंटों का क्रियान्वयन “अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर करता है”।
उक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख आन्द्री येरमाक ने लिखा, “उक्रेन में जारी जाँच में अब तक बच्चों के जबरन निर्वासन के 16,000 से अधिक मामलों की जानकारी मिली है।”
उक्रेन के महाभियोजक आन्द्री कॉस्तिन ने ट्वीट किया कि अगर पुतिन रूस से बाहर जाते हैं तो उनकी “गिरफ़्तारी होगी और उन्हें आईसीसी के सुपूर्द” कर दिया जाएगा।
उधर, रूस में क्रेमलिन प्रवक्ता दमित्री पेसकोफ़ ने आईसीसी के फ़ैसले को “बेहूदा व अस्वीकार्य” बताया। पेसकोफ़ ने रूसी मीडिया से कहा कि “ऐसा कोई भी निर्णय रूस के लिए क़ानूनन कोई मायने नहीं रखता है”।
विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन के गिरफ़्तार होने की संभावना बहुत कम है। हालाँकि 123 देशों और क्षेत्रों ने आईसीसी की रोम संविधि पर हस्ताक्षर किये हैं, लेकिन रूस, चीन और अमरीका इसके अधिकारों को मान्यता नहीं देते हैं।