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विशेषण का 'ते'-रूप बनाने का तरीक़ा (पाठ 34)

किसी चीज़ का वर्णन करते हुए दो या अधिक विशेषणों का लगातार इस्तेमाल करते समय, पहले आने वाले विशेषणों के 'ते'-रूप का इस्तेमाल करते हैं। तो चलिए विशेषण का 'ते'-रूप बनाना सीख लेते हैं।

जापानी भाषा में दो प्रकार के विशेषण होते हैं - 'इ'-विशेषण और 'ना'-विशेषण।

'इ'-विशेषण, उन विशेषणों को कहते हैं जिनकी अंतिम ध्वनि 'इ' होती है, जैसे 'यासुइ' यानी “सस्ता”।

इस प्रकार के विशेषणों का 'ते'-रूप बनाने के लिए अंत के 'इ' को बदल दीजिए 'कुते' में। तो 'यासुइ' का 'ते'-रूप होगा 'यासुकुते'। या फिर, 'तानोशिइ' यानी “मज़ेदार” का 'ते'-रूप होगा 'तानोशिकुते'। इस नियम का एक अपवाद है, विशेषण 'इइ' यानी “अच्छा”। इसका 'ते'-रूप है 'योकुते'। दूसरी तरफ़, 'ना'-विशेषण, उन विशेषणों को कहते हैं जिन्हें संज्ञा से पहले लगाते समय उनमें 'ना' जोड़ा जाता है। जैसे विशेषण 'गेन्कि' यानी “स्वस्थ”। जब इसके बाद कोई संज्ञा आएगी जैसे 'हितो' यानी “व्यक्ति”, तब यह बन जाएगा 'गेन्किना हितो' यानी “स्वस्थ व्यक्ति”।

'ना'-विशेषण का 'ते'-रूप बनाने के लिए मूल विशेषण के बाद जोड़िए 'दे', तो 'गेन्कि' यानी “स्वस्थ” का 'ते'-रूप है 'गेन्किदे'।

अगर हम इसके बाद एक और विशेषण जोड़ते हैं जैसे 'आकारुइ' यानी “हँसमुख” तो बन जाएगा 'गेन्किदे आकारुइ हितो' यानी “स्वस्थ और हँसमुख व्यक्ति”।
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