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सेन्सेइ से पूछें

क्रिया का 'नाइ'-रूप + 'दे कुदासाइ' (पाठ 24)

क्रिया के 'नाइ'-रूप में 'दे कुदासाइ' जोड़कर बनता है 'नाइदे कुदासाइ'। किसी को कोई काम करने से मना करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

जैसे, अगर आप कहना चाहते हों “कृपया न जाएँ”, तो क्रिया “जाना” के लिए जापानी भाषा का शब्द है 'इकिमासु'। इसका 'नाइ'-रूप है 'इकानाइ' और उसमें जोड़ा 'दे कुदासाइ' तो बन गया 'इकानाइदे कुदासाइ' यानी “कृपया न जाएँ”। आपको याद होगा, पाठ 22 में हमने सीखा था कि क्रिया के 'ते'-रूप के बाद 'वा इकेमासेन्' जोड़ने पर बनता है 'ते वा इकेमासेन्' यानी “करना ठीक नहीं है”। यह कुछ करने से सख़्ती से मना करने का तरीक़ा है। अगर आप कहना चाहते हों कि “जाना ठीक नहीं है” तो इसके लिए जापानी भाषा का वाक्य होगा 'इत्ते वा इकेमासेन्'।

बड़े, अपने से छोटों को डाँटते वक़्त या माता-पिता बच्चों को समझाते समय 'ते वा इकेमासेन्' का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जापानी भाषा में बात करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि दूसरे की भावनाओं को चोट न पहुँचे, इसलिए आम बोलचाल में 'नाइदे कुदासाइ' का उपयोग अधिक होता है।
इसके अलावा, आज के पाठ में हमने 'दामे देसु' यानी “ठीक नहीं है” वाक्य भी सीखा। यह भी सख़्ती से मना करने का तरीक़ा है।

किसी की भावनाओं को ठेस बिना पहुँचाए किसी बात के लिए मना करना हो, तो कहिए 'सोरे वा चोत्तो...' यानी “यह तो थोड़ा... (मुश्किल है)”।
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