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सेन्सेइ से पूछें

'इमासु' और 'आरिमासु' (पाठ 10)

सातवें पाठ में, दुकान में ढेर सारे केक देखकर आन्ना ने हैरान होकर कहा था कि 'केएकि गा इप्पाइ आरिमासु' यानी “बहुत सारे केक हैं”। इस तरह, अचल वस्तुओं की उपस्थिति दर्शाने के लिए हम क्रिया 'आरिमासु' का उपयोग करते हैं। क्रिया का चयन करते समय सिर्फ़ यह सोचना काफ़ी नहीं है कि कोई चीज़ सजीव है या निर्जीव। यह सोचना भी ज़रूरी है कि वह अपनी इच्छा से चल-फिर सकती है या नहीं।

जैसे पेड़-पौधे सजीव हैं, लेकिन चल-फिर नहीं सकते। इसलिए उनकी उपस्थिति दर्शाने के लिए क्रिया 'आरिमासु' का ही उपयोग होता है। मछली बाज़ार में बिकने वाली मछलियाँ भी हिल-डुल नहीं सकतीं, इसलिए उनके लिए भी 'आरिमासु' का उपयोग करते हैं। लेकिन अक्वेरियम में तैरती मछलियों के लिए 'इमासु' का उपयोग होगा।

इसके अलावा, बस या कार जैसी चीज़ें, अपनी इच्छा से तो चल-फिर नहीं सकतीं, लेकिन अगर उनमें चालक बैठा हो, तो उनके लिए 'इमासु' का इस्तेमाल हो सकता है। तो याद कर लीजिए, किसी व्यक्ति या जीव-जन्तु की उपस्थिति दर्शाने की क्रिया है 'इमासु' यानी “होना”। इसका नकारात्मक रूप है 'इमासेन्' यानी “न होना”।

चीज़ों या पेड़-पौधों की उपस्थिति दर्शाने की क्रिया है 'आरिमासु'। इसका अर्थ भी “होना” ही है। और इसका नकारात्मक रूप है 'आरिमासेन्'।
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